चौरीचौरा में सदियों से आस्था व भक्ति का केन्द्र सिद्धपीठ मां तरकुलही देवी मंदिर अपनी विशालता वह भव्यता को लेकर कर विख्यात होता जा रहा है वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ ने तरकुलहा देवी के दर्शन करने के बाद मन्दिर के निमार्ण के लिए दो करोड़ बारह लाख अठ्ठासी हजार रुपए मन्दिर का सुंदरीकरण करने के लिए अपने राहत कोष मां तरकुलही देवी के ट्रस्ट को दिया था जिसमें आज तरकुलहा देवी व्यापार मंडल के अध्यक्ष पवन चौहान ने मन्दिर के मुख्य रास्ते को अपने देख देख में आर सी सी रोड का निर्माण व माता के भवन को छत निर्माण व मन्दिर के चारों तरफ लिंक रोड को इण्टर लाकिग कराने के साथ ही साथ मन्दिर के ऊपर पुराने टीन को हटाकर नये सिरे के साथ मन्दिर का पूर्ण निर्माण चालू करवाने के लिए फर्श सहित दीवारों पर मार्बल्स वह टाईल्स की बात करते हुए कहा कि मन्दिर का निर्माण पूरी तरह से तैयारी होने के बाद दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए एक भव्य धर्मशाला व शौचालय का निर्माण होगा अन्त में मां तरकुलही देवी के व्यापार मंडल के अध्यक्ष पवन चौहान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ से मांग करते हुए कहा कि जो साढ़े चार सौ मीटर सड़क इन्टर लाकिग निर्माण के लिए आया था उसे 600 मीटर के लिए किया जाए तथा हमारी मांग को पूरी की जाए अंत में व्यापार मंडल के अध्यक्ष पवन चौहान ने कहा कि यहां के दुकानदार व व्यापार मंडल के कार्यकर्ता ने मंदिर तथा मंदिर की आस पास की जगहों के लिए काफी संघर्ष किया जिसका परिणाम आम जनता के सामने है जिसका श्रेय सभी लोगों को जाता है आपको बताते चलें कि यहां तरकुलहा देवी सहित आसपास व दूरदराज के श्रद्धालुओं व भक्तों की मन्नतें पूरी करने वाली सिद्ध पीठ मां तरकुलही देवी मंदिर अपनी प्राचीनता के साथ साथ आज नवीनतम इतिहास को गढ़ रहा है और आजादी से जुड़ा हुआ है यह मंदिर मां अपने भक्तों की रक्षा किसी भी सूरत में करती है आजादी की लड़ाई में भी इस मंदिर का बहुत बड़ा योगदान रहा है अंग्रेज भारतीयों पर बहुत अत्याचार करते थे डुमरी रियासत के बाबू बंधू सिंह बहुत बड़े देशभक्त थे वाह अंग्रेजो के खिलाफ बगावत का बिगुल फुके थे बंधु सिंह मां के भी बहुत बड़े भक्त थे जो 1857 के आसपास की बात है जब पूरे देश में आजादी की पहली हुंकार देश में उठी तो वहीं गोरिल्ला युद्ध में माहिर बाबू बंधू सिंह वही बाबू बंधू सिंह भी उसमें शामिल हो गये वह घने जंगलों में अपना ठिकाना बनाये हुए थे जंगल में घना जंगल था जंगल से गोरा नदी गुजरती थी उसी जंगल में बंधु सिंह एक तरकुल के पेड़ के नीचे पिंडियों को बनाकर मां भगवती की पूजा करते थे अंग्रेजों से गोरिल्ला युद्ध लड़ते और मां की चरणों में उनकी बलि चढ़ाते इसकी भनक जब अंग्रेजों को लग गई तो उन्होंने अपने गुप्तचर लगाएं अंग्रेजों की चाल कामयाब हुई और एक गद्दार ने बाबू बंधू सिंह के गोरिल्ला युद्ध और बलि के बारे में जानकारी दें दी फिर अंग्रेजों ने जाल बिछाकर वीर सेनानी को पकड़ लिया 6 बार टूटा फांसी का फंदा तरकुलही देवी के भक्त बाबू बंधू सिंह पर अंग्रेजों ने मुकदमा चलाया
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