फोरलेन पर रात भर शव को रौंदती रहीं सैकड़ों गाड़ियां, सिम से हुई शिनाख्‍त

     गोरखपुर : कुशीनगर फोरलेन पर सोनबरसा बाजार स्थित फ्लाईओवर पर मंगलवार की आधी रात को एक युवक की सड़क हादसे में मौत हो गई। युवक के शव को पूरी रात गाड़ियां रौंदती रहीं। बुधवार की सुबह जब तक पुलिस को सूचना लगी तकरीबन 100 से ज्यादा गाड़ियों ने शव के कुचल दिया था जिससे शव सड़क पर ही पिस चुका था। शव के मांस के लोथड़े सड़क में चिपक गए थे वहीं काफी लोथड़े वाहनों के पहियों में फंस कर गायब हो गए थे। 
बुधवार की सुबह दुर्घटना की खबर होने के बाद पुलिस ने सड़क से शव को बेल्चा व कुदाल से खुरोच कर इकट्ठा कराने के बाद पीएम के लिए भेजवाया। शव के पास पुलिस को मोबाइल के टूटे हुए कुछ टुकड़े मिले। वाहनों के पहिए से मोबइल कई टुकड़ों में टूट चुका था। गनीमत रही कि पुलिस को मोबाइल का सिमकार्ड मिल गया। सिमकार्ड को दूसरे मोबाइल में लगाने के बाद युवक की पहचान कुशीनगर के हाटा कोतवाली के कोइरी टोला निवासी अमित वर्मा के रूप में हुई। मौत की खबर से उसके परिवार में कोहराम मच गया है। शव की यह हालत नहीं थी जिसे परिवारवाले देख सकें। कपड़ों से ही उन्होंने उसकी पहचान की।
25 वर्षीय अमित के पिता महेन्द्र वर्मा ने बताया कि अमित बिहार मैरवा में ठेला लगाकर समोसा बेचता था। वह सोनबरसा में कैसे पहुंचा पिता इसको लेकर भी हैरान हैं। उधर पुलिस ने आशंका जताई है कि वह किसी गाड़ी से रात में लौट रहा था। वाहन से गिरने के बाद दुर्घटना में उसकी मौत हो गई। शव को उसी हाल में छोड़कर गाड़ी वाला फरार हो गया। बताया जा रहा है कि रात में शव को गाड़ियां रौंदती रहीं। काफी संख्या में ट्रक उसे रौंदते हुए निकल गए। जिससे शरीर का पूरा हिस्सा पिस चुका था। सिर का हिस्सा पता नहीं चला रहा था। अमित लाल रंग का छींटदार शर्ट व काला पैन्ट पहने हुआ था। कपड़ों के बीच शरीर के मांस के लोथड़े इधर-उधर फंसे हुए थे। जेब में मौजूद मोबाइल के भी कई टुकड़े हो गए थे। गनीमत यह रही कि सिमकार्ड मिल गया। चौकी इंचार्ज सोनबरसा अमित सिंह ने अपने मोबाइल में सिमकार्ड लगाकर उस पर मौजूद नम्बरों पर बात की जिसके बाद उसकी पहचान हुई।
चार भाई दो बहनों में बड़ा था अमित 
अमित चार भाइयों व दो बहनों में सबसे बड़ा था। उसकी एक बहन की शादी हो चुकी है। उसकी शादी लॉकडाउन में ही 30 जून को बिहार के सिवान जिले के मैरवा में सुनीता देवी से हुई थी। वह मैरवा में ठेला लगाकर समोसा बेंचता था। वह अपने साथ ही माता सुनीता देवी व पिता महेंद्र वर्मा तथा उसके भाई बहन वही मैरवा में ही रहते थे। पिता ने बताया कि मंगलवार को दिन में डेढ़ बजे घूमने के लिए मैरवा से निकला था। वह सोनबरसा बाजार में कैसे पहुंचा, इसके बारे में परिवार को कोई जानकारी है।


टिप्पणियाँ