सचिवालय के सेक्शन ऑफिसर के घर प्रॉपर्टी डीलर की हत्या, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने की कर रहा था तैयारी

  लखनऊ : पीजीआई थानाक्षेत्र में बुधवार सुबह सेक्शन ऑफिसर अजय यादव के मकान पर असलहों से लैस बदमाशों ने प्रॉपर्टी डीलर दुर्गेश यादव (35) की गोली मारकर हत्या कर दी। बदमाश एसयूवी से आए थे। बदमाशों ने पहले दुर्गेश के साथियों को एक कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद दुर्गेश की पिटाई शुरू कर दी। दुर्गेश बचकर भागने लगा तो गेट के पास बदमाशों ने उसे गोली मार दी। दुर्गेश के दोस्त मानवेंद्र यादव ने पलक ठाकुर समेत छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
पीजीआई प्रभारी निरीक्षक केके मिश्रा के मुताबिक, पुलिस ने दुर्गेश हत्याकांड में शामिल दोनों मुख्य आरोपियों फिरोजाबाद के नसीरपुर स्थित धनपुरा निवासी मनीष यादव और गोमतीनगर विस्तार के हिमालयन अपार्टमेंट सेक्टर-4 निवासी पलक ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से 7.65 एमएम की पिस्तौल, पांच कारतूस, एसयूवी और दुर्गेश यादव का मोबाइल बरामद किया है। आरोपी मौके से मोबाइल ले गए थे। अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।
सूचना पर प्रतापगढ़ पुलिस ने भाग रहे एक आरोपी मनीष यादव को दबोचकर असलहा व एसयूवी बरामद की है।  पीजीआई पुलिस आरोपी को लखनऊ ले आई है। पुलिस के मुताबिक, दुर्गेश सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर कई लोगों से लाखों रुपये हड़प चुका था। वारदात के पीछे लेनदेन का विवाद है। उसके खिलाफ हजरतगंज थाने में दो साल पहले रुपये हड़पने व जालसाजी का मुकदमा भी दर्ज हुआ था।
डीसीपी पूर्वी चारू निगम के मुताबिक, दुर्गेश मूलरूप से गोरखपुर के उरूवा बाजार के मठ भताड़ी का रहने वाला है। उसके दोस्त मानवेंद्र ने वृंदावन कॉलोनी सेक्टर-14 स्थित सेक्शन ऑफिसर के मकान को किराए पर ले रखा है। मंगलवार रात दुर्गेश मकान पर था। उसके साथ गोला के राजेंद्र प्रसाद भी थे। सुबह करीब 7.30 बजे फिरोजाबाद के शिकोहाबाद का मनीष यादव व पलक ठाकुर कुछ साथियों संग एसयूवी से पहुंचे। इस दौरान दुर्गेश बाथरूम में था। हमलावरों ने पहले दुर्गेश के साथियों को एक कमरे में बंद कर दिया। काफी इंतजार करने के बाद जब दुर्गेश बाहर निकला तो मनीष व पलक ने साथियों संग उसकी पिटाई शुरू कर दी। बचने के लिए दुर्गेश पहली मंजिल से नीचे उतरा। आरोप है कि मनीष ने गेट पर ही उसे गोली मार दी। गोली दुर्गेश के पेट मेें लगी थी। आननफानन उसके साथियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने घायल को ट्रॉमा सेंटर भेजा, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
वहीं, वारदात के बाद मनीष यादव स्कॉर्पियो से प्रयागराज की तरफ भाग निकला। पुलिस ने मौके से मिले स्कॉर्पियो के नंबर से आसपास के जिलों में अलर्ट भेजा। वारदात के करीब तीन घंटे बाद मनीष को प्रतापगढ़ के नवाबगंज थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से पिस्तौल व एसयूवी बरामद कर ली। दोपहर में पीजीआई पुलिस उसे लेकर लखनऊ पहुंची।
डीसीपी पूर्वी के मुताबिक, कमरे में कई जगह सामान बिखरा पड़ा था और खून के निशान भी मिले। तौलिया, कपड़े और चप्पल भी बिखरे थे। इससे साफ है कि दुर्गेश व हमलावरों के बीच काफी देर तक संघर्ष हुआ था। वारदात के दौरान दुर्गेश के साथ छह लोग थे। लेकिन बदमाशों ने पांच लोगों को दूसरे कमरे में बंद कर दिया था।
दोस्त की तहरीर पर महिला सहित छह पर मुकदमा
प्रभारी निरीक्षक पीजीआई केके मिश्रा के मुताबिक, दुर्गेश के दोस्त एटा के सिंहपुर निवासी मानवेंद्र यादव ने तहरीर दी। इसमें शिकोहाबाद निवासी मनीष यादव व गोमतीनगर विस्तार सुलभ आवास निवासी पलक ठाकुर व चार अन्य लोगों पर हत्या का आरोप लगाया है। आरोप है कि मनीष और पलक मकान पर पहुंचे और दुर्गेश से मारपीट शुरू कर दी। विरोध पर अन्य लोगों को दूसरे कमरे में बंद कर दिया। जान बचाकर भाग रहे दुर्गेश को गोली मार दी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
बिना एग्रीमेंट किराए पर दिया मकान
पुलिस की जांच में सामने आया कि सचिवालय में तैनात सेक्शन अधिकारी अजय यादव ने अपना मकान मानवेंद्र को बिना एग्रीमेंट के ही किराए पर दे दिया था। मकान में मानवेंद्र के अलावा सोमेंद्र, सोनू और दुर्गेश रहते थे। कुछ दिन पहले सोनू की शादी हुई है। इसके बाद उसने आने आना बंद कर दिया था। दुर्गेश काम के सिलसिले में लखनऊ आने पर मकान पर आता था। पुलिस ने मकान मालिक से भी पूछताछ की है।
रुपयों के लेनदेन में हुई हत्या
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, दुर्गेश की हत्या रुपयों के लेनदेन में हुई है। दुर्गेश ने र्कई लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर पलक ठाकुर और मनीष यादव से काफी रुपये ऐंठे थे। पूछताछ में सामने आया कि पलक ठाकुर का ही अकेले 22 लाख रुपये का लेनदेन था। वहीं, मनीष ने सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर 67 लाख रुपये दिए थे। इसे लेकर काफी दिनों से तनातनी थी। पूछताछ में मानवेंद्र ने बताया कि दुर्गेश का रुपया पलक  ठाकुर व मनीष ने हड़प लिया था। वापसी का दबाव बनाया तो वारदात अंजाम दे डाली।
ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने की कर रहा था तैयारी
दुर्गेश यादव किसान उमाकांत का इकलौता बेटा था। पढ़ाई-लिखाई के बाद वह राजनीति में आ गया और प्रॉपर्टी का कारोबार भी करने लगा। कुछ दिन गोरखपुर में काम करने के बाद लखनऊ चला आया, यहां उसने कई बड़ी संपत्तियों का सौदा कराया। इसमें कुछ विवादित संपत्तियां भी थीं। पुलिस के मुताबिक, दुर्गेश ने 2015 में हुए जिला पंचायत चुनाव में उरूवा से किस्मत आजमाई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह लखनऊ में ही आकर रहने लगा। इस बीच उसने उरूवा से ब्लॉक प्रमुख पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। उसने होर्डिंग व बैनर भी क्षेत्र में लगवा रखे थे।


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