इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- कहा ये सबसे बड़ा और वैध तरीका…

डॉ0 एस0 चंद्रा


लखनऊ/प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है, यह फैसला पारिवारिक मामले से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने वकहा है कि पति, अपनी पत्नी की विश्वसनीयता साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट (DNA test) करवा सकता है, यह सबसे बड़ा वैज्ञानिक और वैध तरीका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि बच्चे के पिता कौन हैं, यह प्रमाणित करने के लिए डीएनए सबसे ज्यादा वैध और वैज्ञानिक तरीका है। इसके अलावा डीएनए टेस्ट से पत्नी की बेवफाई भी साबित की जा सकती है। कोर्ट ने कहा है कि डीएनए टेस्ट से यह साबित किया जा सकता है कि पत्नी बेईमान, व्यभिचारी या बेवफा नहीं है। कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान अहम बातें कहीं।

इस याचिका में हमीरपुर के रहने वाले पति ने तलाक के लिए याचिका दायर की थी। न्यायालय के समक्ष मुद्दा आया कि क्या अदालत, हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 13 के तहत पति की ओर से दायर तलाक की याचिका में व्यभिचार के आधार पर पत्नी को यह निर्देश दे सकती है कि वह या तो डीएनए टेस्ट कराए या डीएनए टेस्ट कराने से इनकार कर दे? अगर वह डीएनए टेस्ट कराने का चुनाव करती है, तो क्या डीएनए टेस्ट का निष्कर्ष या परिणाम आरोप की सत्यता का निर्धारण करता है ? जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि डीएनए टेस्ट सबसे ज्यादा वैध और वैज्ञानिक तरीका है, जिससे पति अपनी पत्नी की बेवफाई प्रमाणित करने के लिए करवा सकता है। डीएनए टेस्ट सबसे ज्यादा प्रमाणित, यथोचित और सही तरीका है। पति इससे साबित कर सकता है कि पत्नी बेवफा, व्यभिचारी या विश्वासघाती नहीं है।

प्रतिवादी के अनुसार, वह 15 जनवरी 2013 से वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रह रहा था। 25 जून 2014 को दोनों का तलाक हो गया। पति का दावा था कि उसका पत्नी के साथ कोई संबंध नहीं था। पत्नी अपने मायके में रह रही है। 26 जनवरी 2016 को उसने एक बच्चे को जन्म दिया। पति ने कहा कि 15 जनवरी 2013 के बाद से दोनों के बीच शारीरिक संबंध नहीं बने। पति ने दावा किया कि बच्चा उसका नहीं है, जबकि पत्नी का कहना है कि बच्चा उसके पति का ही है।पति ने इस मामले में डीएनए टेस्ट कराने का आवेदन किया। फैमिली कोर्ट ने यह अर्जी खारिज कर दी थी। मामला हाई कोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए इस पर अहम फैसला सुनाया।

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