रुपये के लिए निजी अस्‍पताल ने रोक लिया कोविड-19 मरीज का शव

      गोरखपुर : निजी अस्पतालों का महंगा इलाज सामान्य कोविड मरीजों पर भारी पड़ रहा है। सोमवार को जटेपुर उत्तरी निवासी एक मरीज की मौत हो गई। वह पैनेशिया में भर्ती थे। अस्पताल प्रबंधन ने 1.20 रुपये के भुगतान के लिए शव रोक लिया। स्वजन ने शव न देने का आरोप लगाते हुए जब जिलाधिकारी से शिकायत की, तब अस्पताल प्रबंधन ने शव दिया।
डीएम से हुई शिकायत तब हरकत में आया प्रशासन
उनके पुत्र राहुल ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में बताया कि मेरे पिता की तबीयत खराब थी। कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें इलाज के लिए छात्र संघ चौराहा स्थित पैनेशिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। 22 अगस्त को 50 हजार रुपये जमा कराया गया। इसके बाद इलाज शुरू हुआ। इस बीच रिश्तेदारों से उधार लेकर दो लाख रुपये और जमा किया। 23 अगस्त की देर रात पिता की मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन शव के लिए 1.20 लाख रुपये और मांगने लगा। जबकि आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। जितने रुपये थे। सब इलाज में खर्च हो चुके हैं।
प्रशासन ने आनन-फानन में दिलवाया शव
जानकारी जैसे ही जिला प्रशासन को हुई। आनन-फानन में स्वजन को शव दिलवाया। पैनेशिया में इलाज करने वाले डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि कोविड मरीज के इलाज में जितने रुपये खर्च हुए थे, उसी की मांग की गई थी। अतिरिक्त एक भी रुपये नहीं मांगे जा रहे थे। अस्पताल में कोविड मरीजों पर कितने रुपये खर्च हो रहे हैं। इसका चार्ट भी लगा है। मरीजों को पहले ही इसकी जानकारी भी दे दी जा रही है। शव के बदले रुपये मांगने की बात पूरी तरह गलत है।


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