बचत पर ब्याज दर गिरने से निवेश गिरता है जिससे अर्थव्यवस्था भी लड़खड़ा जाती है

 


नयी दिल्ली 10 फरवरी राज्यसभा में आम बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए श्री रमेश ने कहा कि लंबे चौडे बजट में कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि सरकार ने अर्थव्यवस्था की बीमारी की पहचान कर ली है और उसे ठीक करने के उपाय किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार बजट का महत्व कम किया जा रहा है और नोटबंदी , जीएसटी तथा कारपोरेट कर में कमी जैसी घोषणाएं बजट से बाहर की की गयी हैं। देश में न तो खाद्यान की कमी है, न ईंधन का संकट है , न ही मुद्रा स्फीती की दर दहाई में है और केन्द्र में कमजोर सरकार भी नहीं है तो फिर अर्थव्यवस्था बीमार क्यों है।
उन्होंने कहा कि बचत योजनाओं में ब्याज की दर में निरंतर कमी अर्थव्यवस्था की खराब हालत का प्रमुख कारण है । बचत पर ब्याज दर गिरने से निवेश गिरता है जिससे अर्थव्यवस्था भी लड़खड़ा जाती है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि यह बजट अविश्वसनीय तथा अव्यवाहरिक धारणाओं पर आधारित हैं। बड़े पैमाने पर हो रहे निजीकरण को अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम के निजीकरण के परिणाम बहुत गंभीर होंगे।
श्री रमेश ने कहा कि पचास खरब डालर की अर्थव्यवस्था के सपने को पूरा करने के लिए घरेलू निवेश में तेजी लाना बहुत जरूरी है। केवल विदेशी निवेश के बल पर अर्थव्यवस्था की हालत नहीं सुधरने वाली। घरेलू निवेशक डरे हुए हैं इसलिए वे पैसा नहीं लगा रहे हैं उनका विश्वास जीतना समय की जरूरत है। राज्यों के मजबूत हुए बिना भी इस बारे में सोचना गलत है और राज्यों को मजबूत बनाने के लिए सरकार को उन्हें उनके हिस्से का कर देना होगा जो अभी लटका पड़ा है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अर्थव्यस्था की हालत को देखकर 1991 की याद आ जाती है और सरकार को उस समय के अनुभव को ध्यान में रखकर कदम उठाने चाहिए। औद्योगिक क्षेत्र को दबाव में बताते हुए उन्होंने उसे सहारा दिये जाने की जरूरत बतायी। लोगों के हाथ में पैसा नहीं है इसलिए आटो सेक्टर में भारी मंदी है। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा एक भी नया उद्योग नहीं है जिसमें 5 हजार करोड़ रूपये का निवेश हो रहा है। उन्होंने सड़क परियोजनाओं में निजी भागीदारी नहीं होने का सवाल भी उठाया। कृषि क्षेत्र को उबारने के लिए उन्होंने दूसरी हरित क्रांति की जरूरत पर बल दिया। सामाजिक योजनाओं में पैसे की कमी पर भी उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा किया।


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