ठीक हुए लोगों के छोटे हो रहे फेफड़े, खून के थक्के जमने से आ रही दिक्कत

         गोरखपुर : कोरोना को मात भले दे दी, लेकिन अगर इस दौरान सांस फूलने की समस्या रही, तो ठीक होने के बाद भी सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि ऐसे लोगों में फेफड़ों के सिकुडऩे की समस्या आ रही है। बुखार न होने के बावजूद उनका आक्सीजन लेवल घटता जा रहा है। ऐसे सात मामले केवल मेडिकल कॉलेज में आए। निगेटिव होने के बाद भी उनकी सांस फूल रही थी। फेफड़ों का सिटी स्कैन व डिजिटल एक्सरे कराने पर यह समस्या सामने आई। उनके फेफड़े छोटे हो गए हैं।
सांस फूलने वाले लाेगों में बरकरार है ऑक्‍सीजन की समस्‍या
जो लोग कोरोना संक्रमित हुए और उन्हें सांस फूलने की समस्या थी। ऐसे लोगों में ठीक होने के बाद भी ऑक्सीजन की कमी की समस्या बनी हुई है। सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान से वे परेशान हैं। मेडिकल कॉलेज पहुंचे सात लोगों के फेफड़ों में सिकुडऩ थी और आकार छोटा हो गया था। उनकी दवा शुरू हो गई है। इसके साथ ही इस बीमारी पर अध्ययन भी शुरू हो गया है। डॉक्टर के मुताबिक तीन माह निगरानी के बाद ही कहा जा सकता है कि यह बीमारी कितने हद तक ठीक हो रही है। फिलहाल यह जल्दी ठीक नहीं होती है। लेकिन जहां तक बीमारी बढ़ी है, कोशिश की जा रही है कि उससे आगे न बढ़े।
क्यों छोटे हो रहे फेफड़े
मेडिकल कॉलेज के टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा बताते हैं कि कोविड का इंफेक्शन खून को गाढ़ा कर देता है। खून छोटे-छोटे थक्के बनकर फेफड़ों की धमनियों में जम जाते हैं। साथ ही फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन हो जाता है। जब सूजन खत्म होता है, तो कोशिकाएं सूख जाती हैं और फेफड़ों का आकार छोटा हो जाता है। इसे इंटरस्टिसियल फाइब्रोसिस कहा जाता है।
इसलिए फूलती हैं सांस
डॉक्टर के मुताबिक कोशिकाओं व खून की नलियों का नुकसान होने से वायु से ऑक्सीजन लेने की क्षमता और उस ऑक्सीजन को फेफड़ों की कोशिकाओं से खून में ट्रांसफर करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। इससे सांस लेने में दिक्कत आती। सांस फूलने लगती है। कोरोना होने पर यदि सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो इसकी आशंका कम होती है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा का कहना है कि स्वयं अपना इलाज न करें। ऑक्सीजन लेवल नापते रहें। यदि 92- 93 फीसद से आगे नहीं बढ रहा है और लगातार घटता जा रहा है तो फाइब्रोसिस की आशंका हो सकती है। एक अध्ययन के मुताबिक पूरे विश्व में कोरोना के ठीक हो चुके 15 से 20 फीसद लोगों में यह बीमारी पनप रही है। डॉक्टर के मुताबिक बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम व सांस की दिक्कत होने पर तत्काल कोरोना जांच कराएं। पॉजिटिव आने पर तत्काल अस्पताल में भर्ती हो जाएं। डाक्टर की सलाह और जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन देने के साथ ही  खून पतला करने वाली दवा चलाई जाती है। इससे न तो कोशिकाओं में सूजन होगी और न ही खून गाढ़ा होने पाएगा। समय रहते इलाज होने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।


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