इनकम टैक्‍स रिटर्न भरने से पहले कर लें तैयारी, जुटा लें ये जरूरी डॉक्‍युमेंट्स

डॉ0 एस0 चंद्रा


वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर में अब कुछ ही दिन बाकी हैं. हमारी सलाह यह है कि लास्ट डेट तक जाने की बजाय आप अभी यह काम निपटा लें तो बेहतर रहेगा. आपके लिए यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि आईटीआर दाखिल करने से पहले आपको कौन-कौन से डॉक्युमेंट या सर्टिफिकेट निकालकर तैयार रखने की जरूरत है. वैसे तो खुद ऑनलाइन रिटर्न भरने में किसी दस्तावेज को लगाने की जरूरत नहीं होती, लेकिन आपको ब्योरा देना होता है. हां, अगर आप किसी सीए से आईटीआर दाखिल कराते हैं तो आपको उसे सारे दस्तावेज की कॉपी देनी होगी.


 जानें वित्त वर्ष और आकलन वर्ष का फर्क: कोरोना वायरस के कारण सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाते हुए 31 दिसंबर तक कर दी है. सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि वित्त वर्ष और आकलन वर्ष यानी फाइनेंशियल ईयर और असेसमेंट ईयर में क्या फर्क है. 

वित्त वर्ष या फाइनेंशियल ईयर वह साल होता है जिसके लिए आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहे हैं. दूसरी तरफ, आकलन वर्ष वह होता है जिसमें आप टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं और जिस साल में यह आकलन किया जा रहा होता है कि आपको कितना टैक्स रिटर्न मिलना है. 

31 दिसंबर तक आप जो रिटर्न दाखिल करने जा रहे हैं, वह वित्त वर्ष 2019-20 के लिए है और इसके लिए आकलन वर्ष 2020-21 होगा।


 वेतनभोगी लोग इनकम टैक्स रिटर्न के लिए ITR-1 या ITR-2 का इस्तेमाल करते हैं. वैसे तो ये फॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध हैं और इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग आसान हो गई है, लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि आपके पास सभी दस्तावेज मौजूद हों. अगर कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है तो उसे निकलवाने के लिए आपके पास अभी समय भी है. यह दस्तावेज वित्त वर्ष 2019-20 का होना चाहिए।


फार्म 16 और सैलरी स्लिप: आईटीआर फॉर्म भरने से पहले टैक्‍सपेयर को कंपनी की ओर से मिलने वाला फॉर्म-16 (Form-16) हासिल कर लेना चाहिए. इसमें करदाता की आय और निवेश का पूरा ब्‍योरा रहता है. इससे यह पता चलता है कि कर्मचारी का टीडीएस कटा है और संबंधित अथॉरिटी में उसे जमा किया गया है. इसके अलावा सैलरी स्लिप की जरूरत भी पड़ती है, क्योंकि आईटीआर 2 में सैलरी का ब्योरा मांगा जाता है जैसे बेसिक कितना है, डीए, एचआरए आदि कितना है. 


ब्याज आय से संबंधित सर्टिफिकेट: अगर आपने बैंक या पोस्ट ऑफिस में डिपॉजिट किया है और उस पर आपको ब्याज के रूप में आमदनी हो रही है तो ब्याज का सर्टिफिकेट जुटा लेना चाहिए. ईयर के दौरान किए गए सभी तरह के निवेश के दस्‍तावेज आईटीआर भरते समय अपने पास होने चाहिए. बैंक या पोस्ट ऑफिस से हुई सालाना 10 हजार रुपये तक की ब्याज आय धारा  80TTA के तहत करमुक्त होती है।


इसी तरह वरिष्ठ नागरिकों की ऐसी 50 हजार रुपये तक की आय कर मुक्त होती है. इसके लिए आपको बैंक का अपडेट स्टेटमेंट या पासबुक, एफडी पर लगे ब्याज आय का स्टेटमेंट और बैंक द्वारा जारी टीडीएस सर्टिफिकेट हासिल करना होगा. 


टैक्स बचाने वाले निवेश के प्रमाणपत्र: इस दौरान किए गए सभी तरह के निवेश के दस्‍तावेज आईटीआर भरते समय जुटा लेने चाहिए. टैक्स बचाने के लिए आयकरदाता कई तरह के निवेश करते हैं. इन निवेश से उनकी टैक्स देनदारी कम होती है. सबसे ज्यादा ऐसे निवेश विकल्प आयकर की धारा 80 सी के तहत मौजूद हैं।

गोरखपुर के टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं, 'धारा 80 C के तहत आप कई साधनों में ​1.5 लाख रुपये तक के निवेश को अपनी टैक्सेबल इनकम से घटा सकते हैं. इस धारा के तहत निवेश वाले साधनों में ईपीएफ, पीपीएफ, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, नेशनल पेंशन सिस्टम, ईएलएसस, बच्चों की स्कूली फीस आदि आते हैं. इसके अलावा धारा 80 डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम भी साल भर में 25 हजार रुपये तक आयकर मुक्त होता है. इसके अलावा एनपीसी में 50 हजार रुपये का अतिरिक्त निवेश कर आप टैक्स बचत कर सकते हैं.' वहीं, अगर आपने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है तो लोन स्‍टेटमेंट अपने पास रखें. छूट का दावा करने के लिए ये प्रूफ होना जरूरी है. होम लोन का साल भर में 2 लाख रुपये तक का ब्याज कर मुक्त होता है. होम लोन पर लगने वाले प्रिंसिपल एमाउंट को 1.5 लाख रुपये की धारा 80सी के तहत छूट सीमा में रखा गया है।

फॉर्म 26AS: आईटीआर दाखिल करने से पहले आपको सैलरी अकाउंट वाले बैंक से फॉर्म 26AS हासिल कर लेना चाहिए. यह किसी व्यक्ति का सालाना कंसोलिडेटेड टैक्स स्टेटमेंट होता है. इसमें एम्प्लॉयर के द्वारा काटा गया टीडीएस, बैंक द्वारा काटा गया टीडीएस, किसी अन्य संस्था द्वारा आपको भुगतान पर काटा गया टीडीएस, आपके द्वारा जमा किये गये एडवांस सेल्फ असेसमेंट टैक्स आदि का पूरा ब्योरा होता है. कैपिटल गेन्स: यदि किसी व्यक्ति को प्रॉपर्टी, म्यूचुअल फंड या शेयरों की बिक्री से साल के दौरान कोई कैपिटल गेन्स यानी पूंजीगत लाभ हुआ है तो उसे इसका ब्योरा आईटीआर फॉर्म में देना होता है।

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