शक्ति भोग फूड्स के खिलाफ 3,269 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप में CBI ने दर्ज की FIR

  डॉ0 एस0 चंद्रा

   दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 3,269 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप में शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। CBI ने बैंक धोखाधड़ी के मामले में शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायेक्टर और डायरेक्टर को आरोपी बनाया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, CBI ने इस मामले में तलाशी अभियान भी चलाया है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, CBI ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व वाले 10 बैंकों के एक समूह से 3,269 करोड़ रुपये की काथित धोखाधड़ी करने को लेकर दिल्ली स्थित शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है।

SBI की एक शिकायत पर जांच एजेंसी ने कंपनी के प्रबंध निदेशक के. कृष्ण कुमार और अन्य निदेशकों, सिद्धार्थ कुमार तथा सुनंदा कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। SBI की शिकायत के अनुसार, निदेशकों ने कथित तौर पर बैंक खातों में फर्जीवाड़ा किया और सार्वजनिक पैसे निकालने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। बैंक ने कहा कि गेहूं, आटा, चावल, बिस्कुट आदि तैयार करने और इसकी बिक्री करने वाली 24 साल पुरानी इस कंपनी का कारोबार एक दशक से अधिक समय में 2008 में 1,411 करोड़ रुपये का था, जो 2014 में बढ़कर 6,000 करोड़ रुपये का हो गया।

हालांकि, यह वृद्धि 2015 में रूक गई क्योंकि इसका बैंक खाता गैर निष्पादित संपत्ति में तब्दील हो गया और इसे 2019 में आखिरकार फर्जी करार दिया गया। बैंक ने 2017 में कर्मचारी जवाबदेही पर एक जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था कि खाते के NPA में तब्दील होने का कारण धान के मूल्य में तेजी से हुई गिरावट, चावल एवं धान के मद में पूंजीगत व्यय का समुचित उपयोग नहीं किया जाना और नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त कोष नहीं मिल पाना था।

बैंकरों द्वारा किए गए फोरेंसिक ऑडिट में इस बात का जिक्र किया गया था कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2015-16 के अपने अकाउंट बुक में यह दिखाया था कि उसके भंडार को कीटों के चलते 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और उसे बहुत कम कीमत पर बेचना पड़ा। बैंक ने अपनी शिकायत में कहा है कि यह दावा ऑडिट रिपोर्ट में सामने आये तथ्यों का विरोधाभासी है।

रिपोर्ट में यह कहा गया था कि आग, भूकंप और अन्य आपदाओं के खिलाफ सुरक्षा के लिए कंपनी के पास एक बीमा पॉलिसी थी, लेकिन कीटों के चलते भंडार को नुकसान होने के बारे में कोई दावा (बीमा के लिए) नहीं किया गया। खातों में यह भी नहीं प्रदर्शित किया गया है कि क्षतिग्रस्त भंडार को कम कीमत पर बेचा गया था। अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कोष को दूसरी जगह भेज कर फिर वहां से उसे वापस लाया गया और कंपनी ने संदिग्ध भुगतान भी किए।

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