डॉ0 एस0 चंद्रा
गोरखपुर : रामगढ़ ताल में रविवार को शिकारा पलट जाने के मामले में जीडीए ने संचालक को नोटिस दिया है। प्राधिकरण ने नोटिस के जरिए संचालन करने वाली फर्म से पूछा है कि बिना अनुबंध, ताल में शिकारा के संचालन पर क्यों न उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाए।
जीडीए ने संचालक को नोटिस का जवाब देने के लिए तीन दिन का मौका दिया है। उधर, शिकारा में टक्कर मारने वाली स्पीड बोट के संचालक को भी तय रुट से बाहर जाने पर चेतावनी दी गई है। उधर, जीडीए की सख्ती के बाद सोमवार को शिकारा का संचालन नहीं हुआ। संचालक ने अपने तीनों नाव ताल से हटा लिए। वहीं स्पीड बोट और पैडल बोट का संचालन सुरक्षा के बीच जारी रहा।
बता दें कि रविवार की शाम रामगढ़ ताल में स्पीड बोट की टक्कर से एक शिकारा पलट गया था। इस पर सवार एक ही परिवार के नौ लोग पानी में गिर गए थे। निषाद नौकायन विकास समिति और स्पीड बोट चलाने वाली टाइगर टीम के गोताखोरों ने सभी को बचा लिया, मगर इस घटना ने रामगढ़ ताल में संचालित हो रहे मोटर बोट आदि के सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्राधिकरण की जांच में पता चला कि जीडीए की ओर से शिकारा के संचालन के लिए लाइसेंस तो दिया गया था, लेकिन अभी तक संचालक ने पूरी रकम जमा कर अनुबंध नहीं कराया था। शिकारा संचालक ने केवल ट्रायल की बात कही थी, लेकिन रुपये लेकर पर्यटकों को उसपर बैठाया गया था। जीडीए उपाध्यक्ष अनुज सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए शिकारा संचालक को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।
एक बार फिर दुर्घटना के बाद बरती जाने लगी सावधानी
ऐसा पहली बार नहीं है, जब रामगढ़ ताल में बोटिंग के दौरान दुर्घटना हुई हो। मगर जीडीए और संचालकों द्वारा घटना से सबक सिर्फ कुछ दिन के लिए ही लिया जाता है। पिछले साल फरवरी में ताल में संचालित जार्बिंग बॉल में चढ़े एक युवक अमन की मौत हो गई थी। उस दौरान भी पड़ताल में पता चला था कि बिना अनुबंध के ही उसका संचालन शुरू हो गया था।
उसके संचालक ने भी शिकारा संचालक की ही तरह ट्रायल करने की बात कही थी, जबकि उसने रुपये लेकर अमन और उसके दोस्त को जार्बिंग बाल में बैठाया था। सख्ती होने पर कुछ दिनों तक सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा गया, फिर लापरवाही शुरू हो गई। इसी तरह कई बार दिन ढलने के बाद भी बोट का संचालन होने की शिकायतें मिल चुकी हैं।
रविवार को दुर्घटना के बाद सोमवार को एक बार फिर सुरक्षा मानकों को लेकर बोट संचालक सतर्क दिखे। जेटी पर अलग-अलग प्लेटफार्म से शिकारा, स्पीड बोट, जेट स्की एवं पैडल बोट चलाने का लाइसेंस दिया गया है। शिकारा को छोड़कर सभी का अनुबंध भी हो चुका है।
जीडीए, पर्यटन विभाग ने संचालकों के भरोसे छोड़ दी सुरक्षा
बिना अनुबंध के शिकारा का दो-तीन दिनों से रामगढ़ ताल में संचालन हो रहा था। स्पीड बोट तय रुट पर नहीं चल रही थी। इसी तरह एक साल पहले जार्बिंग बाल का भी बिना अनुबंध के संचालन शुरू हो गया था। ये सारी घटनाएं जीडीए और पर्यटन विभाग की मॉनीटरिंग पर सवाल खड़े कर रही हैं।
ताल में सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं, जिम्मेदारों की तरफ से इसे कभी जांचा ही नहीं जा रहा। सब कुछ स्पीड बोट संचालकों पर छोड़ दिया गया है। यह भी जांचा-परखा नहीं जा रहा कि ताल में जो बोट उतारी जा रही हैं, वे सुरक्षित हैं या नहीं। जो गोताखोर हैं, वे कितने प्रशिक्षित हैं, इसकी भी कभी क्रॉस चेकिंग नहीं की गई।
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