2030 तक 50 फीसदी युवाओं को पहुंचाना है विवि-कॉलेज : आनंदीबेन पटेल

डॉ0 एस0 चंद्रा


 एमएमएमयूटी दीक्षांत समारोह

            गोरखपुर : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने कहा कि बेहतर उच्चशिक्षा तभी मिलती है जब हमारा प्राथमिक ठीक हो। आज इस समारोह में प्राइमरी स्कूल के भी बच्चे आए हैं। वहीं हमारे अतिथि हैं और मेरे लिए सबसे खास हैं। इसी वजह से आज उन्हें पहली पंक्ति में बैठाया गया है। यही प्राइमरी स्कूल के बच्चे प्रेरणा पाकर एमएमएमटीयू के छात्रों की तरह मेडल और उपाधियां हासिल करेंगे।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में दिए गए प्रावधानों के अनुसार 2030 तक देश के 50 फीसदी युवाओं को कॉलेज-विश्वविद्यालय तक पहुंचाना है। लेकिन यह सब तभी संभव है जब हम अपनी प्राइमरी शिक्षा को मजबूत करें। हम सभी को यह देखना होगा कि हमारे जितने भी गांव हैं उन गांवों का एक-एक बच्चा स्कूल जाए।

गुजरात में अपने शिक्षामंत्री कार्यकाल का उदाहरण देते हुए कहा वहां महज 59 फीसदी महिलाएं जबकि पुरुष 85 फीसदी साक्षर थे। काफी काम करने के बाद 2001 में प्रवेश उत्सव शुरू हो गया। हर साल 12 से 15 जून तक यह उत्सव मनाया जाता और सभी मंत्री, अधिकारी, घर-घर जाकर बच्चियों को प्रवेश के लिए  प्रोत्साहित करते थे। उसी का नजीता रहा कि तीन सालों में महिलाओं की साक्षरता 80 फीसदी पहुंच गई थी।

बच्चों को नहीं पढ़ाने पर जेल हो सकती है

कुलाधिपति ने कहा कि हमारे संविधान में लिखा गया है कि 14 वर्ष तक सभी बच्चों को सर्वाधिक शिक्षा दिया जाना चाहिए। यदि कोई परिवार अपने बच्चों को नहीं पढ़ाता है तो उसे सजा हो सकती है। हमारा कर्तव्य बनता है कि ऐसे लोगों को समझाकर बच्चों का दाखिला कराएं।

महिलाओं के लिए क्लब बनाना सुखद

कुलाधिपति ने एमएमएमयूटी में महिलाओं के लिए क्लब बनाने की तारीफ की। कहा कि गांवों में जाकर जब क्लब की सदस्य महिलाओं और लड़कियों से मिलेंगी तो उनकी समस्याएं सामने आएंगी।

समस्याओं को जानने जेल भी गई

कुलाधिपति ने कहा कि वैसे तो कभी जेल नहीं गई। लेकिन लखनऊ जेल में बंद महिलाओं से मिलने गई। उनका जवाब सुन दंग रह गई थी। वहां 25 महिला बंदियों से मिलीं। किसी को 20 साल की सजा मिली थी तो किसी को 15 साल की। एक-एक सभी से जब जेल आने का कारण पूछा तो सभी ने कहा कि बहू को मार दिया। पूछा क्यों मार दिया तो जवाब मिला कि दहेज नहीं मिला, इसलिए मार दिया। यह सुन स्तब्ध रह गई। हर किसी को दहेज जैसी कुरीतियों के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा। इससे एक नहीं कई परिवारों की रक्षा होगी।

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