डॉ0 एस0 चंद्रा
महराजगंज : जिले में बिना काम मनरेगा के पौने 26 लाख रुपये हड़पने के मामले में प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। डीएम डॉ. उज्ज्वल कुमार ने आरोपी एपीओ विनय कुमार मौर्य (वर्तमान तैनाती एपीओ घुघली) की सेवा समाप्त करते हुए जांच के दायरे को बढ़ा दिया है। अन्य ब्लाकों में इस तरह के मामलों की परत उधेड़ी जा रही है। ब्लाक व तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों को जांच करने और तत्काल केस दर्ज कराने का निर्देश दे दिया है। इसमें वन विभाग के लोगों के संलिप्त मिलने से विकास विभाग व वन विभाग के जिम्मेदारों में अफरा-तफरी वाली स्थिति है।
मनरेगा का धन विभागों में भेजे जाने के बाद इसका बंदरबाट होने का प्रमाण परतावल के बरियरवा के मामले में मिल गया है। शिकायत और जांच के बाद शुक्रवार को परतावल ब्लाक के बरियरवा में पोखरी सुंदरीकरण में पौने 26 लाख रुपये का घोटाला पकड़े जाने के बाद जिम्मेदारों में हड़कंप मचा है। परतावल ब्लाक समेत अन्य ब्लाकों में भी मनरेगा कार्यों की ईमानदारी और निष्पक्षता से जांच हो जाए तो करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आएगा। फिलहाल एपीओ सहित छह लोगों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद डीएम ने एपीओ की सेवा समाप्त कर दी है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार परतावल ब्लाक के बरियरवा गांव में ही मनरेगा घोटाले का मामला नहीं है। जिले के कई ब्लाकों में इस तरह का फर्जीवाड़ा होने की पूरी आशंका है। लेकिन मामला तभी पकड़ में आता है जब इसकी शिकायत होती है और शिकायतकर्ता दमदारी के साथ पैरवी करता है। बरियरवा गांव के अलावा प्रशासन यदि सभी गांवों में बड़े कार्यों की जांच कराए तो करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है।
विभाग, ब्लाक कर्मियों की मिलीभगत से होता है खेल
मनरेगा में गड़बड़ी केवल एक व्यक्ति नहीं कर सकता। इस चैनल में शामिल लोगों को उनका हिस्सा देना पड़ता है। हालांकि इस कार्य में सभी के हाथ काले नहीं होते। कुछ अति महत्वाकांक्षी अधिकारी कर्मचारी मनरेगा को बदनाम कर रहे हैं। इसमें ब्लाक के कुछ एपीओ, तकनीकी सहायक, कम्प्यूटर आपरेटर, कार्य प्रभारी, ब्लाक के अधिकारी व विभाग के अधिकारी कर्मचारी शामिल होते हैं। कार्य शुरू होने से लेकर उसके पूरा होने तक कार्यों की फोटो, एमबी आदि की प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
ताबड़तोड़ दो एफआईआर दर्ज हुए हैं
बरियरवा गांव में 25 लाख 87 हजार 820 रुपये के घोटाले में शुक्रवार को सदर कोतवाली में दो एफआईआर दर्ज हुए हैं। आरोपी एपीओ विनय कुमार मौर्य, सतभरिया निवासी दिनेश मौर्या, कथित ठेकेदार समेत वन विभाग के कर्मचारी सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक घनश्याम राय, कम्प्यूटर आपरेटर अरविंद श्रीवास्तव, लेखा लिपिक विंद्रेश कुमार सिंह को आरोपी बनाया गया है। अब एपीओ पर मुकदमा के साथ ही उनकी नौकरी भी चली गई है।
कार्य प्रभारी भी जद में
मनरेगा कार्य की मौके पर देखरेख के लिए एक कार्यप्रभारी भी होता है। लेकिन जिम्मेदारों ने कार्य प्रभारी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। बरियरवा गांव में पोखरी सुंदरीकरण कार्य में कार्य प्रभारी अभी तक बचे हुए हैं।
“बिना काम फर्जी भुगतान के मामले में मुकदमा दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है। आरोपी एपीओ विनय कुमार मौर्य की सेवा संविदा समाप्त कर दी गई है” -डॉ. उज्ज्वल कुमार, डीएम
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