कंपनी ने वापस लेने से किया इनकार, बर्बाद हो गईं कोरोना की करोड़ों की दवाएं, कारोबारी सदमे में

डॉ0 एस0 चंद्रा

      गोरखपुर : जिले की दवा मंडी के व्यापारियों ने दूसरी लहर में कोरोना की दवा अधिक मात्रा में स्टॉक कर ली। अब करोड़ों रुपए की दवाएं एक्सपायर होने जा रही है। दूसरी तरफ कंपनी ने भी दवा वापस लेने से मना कर दिया है। ऐसे में तीसरी लहर के लिए दवा मंगाने का आर्डर करने से व्यापारी कतरा रहे हैं।

  जिले में कोरोना की करोड़ों रुपए की दवा एक्सपायर हो जाएगी। इससे दवा व्यापारी परेशान हैं। अब उन्हें कोरोना की तीसरी लहर की चिंता भी सता रही है। कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप देखते हुए दवा व्यापारियों नें रेमेडेसिवीर समेत कई मंहगी दवाएं अधिक मात्रा में मंगा ली थी। जुलाई में कोरोना के मामले थमने के साथ ही दवाओं की डिमांड भी खत्म हो गई।

व्यापारी अब दवा कंपनी से वो दवाएं जो दो महीने में एक्सपायर हो जाएगी उसे वापस करने की गुहार लगा रहे हैं। जबकि कंपनी ने दवा वापस लेने से मना कर दिया है। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर के लिए व्यापारी दवा ऑर्डर करने से कतरा रहे हैं।

तब एक्सपायर हो जाएंगी करोड़ो की दवाएं

गोरखपुर का भलोटिया मार्केट पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी हैं। यहां पर नेपाल, बिहार समेत महाराजगंज, देवरिया, सिद्धार्थनगर, बस्ती, आजमगढ़, मउ, बलिया के व्यापारी थोक में दवा लेने आते हैं। इस मार्केट में डेली करोड़ों रुपए का वारा-न्यारा होता है। दूसरी लहर में कोरोना ने इस तरह कहर मचाया कि दवा मार्केट में दवाओं की डिमांड भी बढ़ गई। इसको देखते हुए भलोटिया मार्केट के व्यापारियों ने कोरोना की सारी दवाएं अधिक मात्रा में स्टॉक कर ली।

अचानक जून से ही कोरोना के केस बिल्कुल कम हो गए, जिसके बाद से दवाओं की खरीद भी बंद हो गई। वहीं रेमेडेसिवीर, फेबिफ्लू समेत करोड़ो रुपए की दवा व्यापारियों के यहां डंप पड़ी हुई है। इसमे से कुछ दवाएं दो महीने के अंदर एक्स्पायर हो जाएगी तो कुछ 4 से 6 माह में खराब हो जाएगी।

कैसे करें तीसरी लहर की तैयारी

भलोटिया मार्केट के दवा व्यापारी योगेन्द्र नाथ दुबे ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में जो दवाएं बच गई थीं उसे कंपनी ने वापस ले लिया था। यही सोचकर हम लोगों ने इस बार भी कोरोना की दवाओं की किल्लत से बचने के लिए अधिक माल स्टॉक कर लिया था। व्यापारियों का करोड़ो रुपया कोरोना की दवा में फंसा है। दूसरी तरफ तीसरी लहर की तैयारी के लिए पहले से कंपनी को दवा के लिए ऑर्डर भी करना है। पहले आर्डर करने पर ही दवाएं समय पर आ पाती है। ऐसे में अब दवा व्यापारियों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि बच्चों से रिलेटेड दवाओं की डिमांड करे या ना करें।

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