‘‘महीने में आठ बार आयरन और छह महीने पर विटामिन ए सीरप का सेवन आवश्यक’’


गोरखपुर, नौ माह से पांच साल तक के बच्चों को महीने में आठ बार आयरन सीरप और हर छह महीने पर विटामिन ए का सीरप दिया जाना आवश्यक है । दोनों सुविधाएं सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही हैं । प्रत्येक बुधवार और शनिवार को टीकाकरण सत्र पर बच्चों को विटामिन ए का सीरप पिलाया जाए, जबकि सप्ताह में दो बार आशा कार्यकर्ता भ्रमण कर बच्चों को आयरन का सीरप दें। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने बुधवार को खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से बाल स्वास्थ्य पोषण माह (बीएसपीएम) का शुभारंभ करते हुए कहीं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बच्चों को अपने हाथों से सीरप की खुराक भी दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि बीएसपीएम में कोविड-19 प्रोटोकॉल का खासतौर से ध्यान रखा जाए । सीरप के साथ जो चम्मच आता है, उसका प्रयोग सिर्फ मापन के लिए किया जाए। उन्होंने बताया कि विटामिट ए की पहली खुराक नौ माह के बच्चे को खसरे के टीके के साथ दी जानी चाहिए । इसके बाद प्रत्येक छह माह पर अभिभावकों का दायित्व है कि वह बच्चे को पांच वर्ष की उम्र तक टीकाकरण सत्र तक लाएं और यह सीरप पिलाएं।

सीएमओ ने कहा-सभी एएनएम को बताया गया है कि सत्र स्थल पर आने वाले लाभार्थियों को विटामिन ए की खुराक देने के साथ-साथ आयरन सीरप की एक शीशी इस निर्देश के साथ दें कि क्षेत्र की आशा के साप्ताहिक भ्रमण के दौरान एक-एक एमएल आयरन महीने में आठ बार देना है। इस सीरप का सेवन पांच वर्ष की उम्र तक करना है। नौ माह से 12 माह तक के बच्चों को आधा चम्मच विटामिन ए का सीरप देना है, जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चों को एक चम्मच सीरप देना है।

कार्यक्रम में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्वेता पांडेय, बीसीपीएम विकास समेत सीएचएआई संस्था के प्रतिनिधि दिलीप गोविंद राव प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

बच्चों के लिए सुरक्षा कवच है विटामिन ए

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि विटामिन ए के सेवन से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है । आँखों की परत यानी कार्निया सुरक्षित होती है । इससे बाल मृत्यु दर में कमी, दस्त, खसरा व मलेरिया से होने वाली मृत्यु में कमी, आँखों के रोग जैसे रतौंधी से बचाव और कुपोषण में कमी जैसे फायदे मिलते हैं । यह शारीरिक विकास में भी उपयोगी है । विटामिन ए सम्पूरण कार्यक्रम के जरिये बाल जीवितता में बीस फीसदी बढ़ोत्तरी संभव है । इससे खसरे से होने वाली मृत्यु में पचास फीसदी, जबकि दस्त से होने वाली मृत्यु में चालीस फीसदी की कमी आती है । इसी प्रकार आयरन के सेवन के जरिये बच्चों में खून की कमी को समाप्त और उनके पोषण स्तर में सुधार किया जा सकता है । एनीमिया और कुपोषण रोकने में आयरन सिरप का अहम योगदान होता है ।

5.72 लाख लक्ष्य

जिला सहायक शोध अधिकारी के. पी. शुक्ल ने बताया कि जनपद के नौ माह से पांच वर्ष तक के करीब 5.72 लाख बच्चों को विटामिन ए और आयरन की खुराक दी जानी हैं। विटामिन ए सम्पूरण कार्यक्रम को आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी तीनों के समन्वय से सफल बनाया जा सकता है । सभी को यह दिशा-निर्देश है कि न केवल टीकाकरण सत्र स्थलों पर बल्कि ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर भी आयरन और विटामिन ए की महत्ता पर चर्चा होनी चाहिए और लाभार्थियों को सुविधा दी जाए।

आशा और आंगनबाड़ी ने दी सूचना

अभियान के शुभारंभ पर विटामिन ए और आयरन सिरप का सेवन करने वाली 14 माह की बच्ची आराध्या के पिता विरेंद्र ने बताया कि उन्हें आशा कार्यकर्ता रेनू और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता ने सूचना दी। बच्ची को उनकी पत्नी खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गयी थीं और वहीं पर दवा पिलायी गयी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता ने बताया कि उन लोगों ने जंगल सिकरी गांव के दर्जनों लोगों को इस कार्यक्रम के बारे में सूचना दी थी और लाभार्थियों ने अभियान के प्रति उत्साह भी दिखाया।

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