कोविड टीके का स्तनपान करने वाले शिशु पर प्रतिकूल असर नहीं

गोरखपुर, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीकाकरण करवाना है या नहीं, इस बारे में शुरू में कोई दिशा- निर्देश नहीं आया था। टीका न लगने से मन में कोविड के प्रति भय था। लेकिन अब यह भय समाप्त हो चुका है, क्योंकि गाइलडाइन आने के बाद कोविड टीकाकरण करवा लिया है। यह कहना है स्तनपान करवाने वाली उन महिलाओं का जिन्होंने कोविड का टीका लगवा लिया है और खुद अनुभव किया है कि इसका उनके शिशु पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा। ऐसे चिकित्सकों, शिक्षक और गृहिणी ने अनुभव साझा करते हुए भय और भ्रांति को दरकिनार कर धात्री महिलाओं से टीकाकरण की अपील की है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की डीईईआईसी मैनेजर डॉ. अर्चना ने कोविड टीके के बारे में अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि उनका एक वर्ष का बच्चा स्तनपान करता है। उनका कहना है कि चूंकि आरबीएसके की टीम रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) के तौर पर सीधे कोविड मरीजों के घर जाती है और डॉ. अर्चना को भी आरआरटी से रोजाना संपर्क में आना होता है, इसलिए कोविड प्रोटोकॉल के अलावा टीकाकरण उनके लिए बचाव का बेहतर विकल्प था। मई में टीका लगवाने के बाद न तो उन्हें कोई दिक्कत हुई और न ही उनके बच्चे को। उनका कहना है कि प्रत्येक बच्चे की मां को कोविड का टीका अवश्य लगवाना चाहिए।

सरदारनगर ब्लॉक में आरबीएसके की चिकित्सक डॉ. के.जे.लक्ष्मी ने जब टीका लगवाया तो उनका बच्चा दो साल से कम उम्र का था। उन्होंने बताया कि फ्रंटलाइन पर कार्य करने के दौरान खुद की सुरक्षा के साथ-साथ परिवार की सुरक्षा की चिंता लगी रहती थी। जब कोविड टीकाकरण शुरू हुआ तो उन्हें लगा कि टीके के जरिये ही वह खुद के साथ-साथ परिवार की सुरक्षा कर सकेंगी। इसलिए उन्होंने टीकाकरण करवाया और बच्चे को स्तनपान भी करवा रही हैं। इससे कोई दिक्कत नहीं हुई।

नई दिल्ली में शिक्षिका खुशबू श्रीश इन दिनों संतकबीरनगर के खलीलाबाद में अपने ससुराल में रह रही हैं। उनका कहना है कि नौ महीने के दुध पीते बच्चे की माँ होते हुए  कोविड टीकाकरण के प्रति कुछ संशय स्वाभाविक थे। मन मे था कि बेटे श्रीतिक को इसका कोई दुष्परिणाम न हो क्योंकि उसका मुख्य पोषण आहार तो माँ का दुध ही है। इस विषय पर जानकारी जुटानी शुरू की और फिर तय किया कि टीका लगवाना है। 24 जून को स्लॉट मिलते ही बघौली प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर टीका लगवाया।  टीका लगवाने के बाद पैरासिटामोल टेबलेट लिया, जो चिकित्सा केंद्र द्वारा दी गई थी, क्योंकि  हल्का बुखार और बदन दर्द लगभग दो दिन रहा। टीके से कोई दिक्कत नहीं है और श्रीतिक भी स्वस्थ है। टीका लगवाना जरूरी है, इसी में देश का हित है।  

पिपराईच के बेला गांव की गृहिणी नेहा सिंह का कहना है कि उनका एक छोटा बच्चा  है जिसकी उम्र तीन साल है जिसे अभी वह स्तनपान कराती हैं,जिसके कारण उन्हें भी कोरोना का टीकाकरण कराने में डर लग रहा था,लेकिन उन्होंने जानकारियां जुटाने के बाद टीका लगवाया । टीका लगवाने के बाद जो डर था वो खत्म हो गया। टीकाकरण के बाद हल्का बुखार और थोड़ा शरीर में दर्द हुआ था। बुखार की एक गोली खाने के बाद वह स्वस्थ हो गयीं। उनका बच्चा भी स्वस्थ है। इसलिए लोगों के मन में टीके के प्रति जो डर बना हुआ है उसे बाहर निकालें और वह सभी बहनें कोविड का टीका लगवाएं जो बच्चे को स्तनपान कराती हैं।

टीकाकरण का कोई नुकसान नहीं

स्तनपान करवाने वाली महिलाएं कोविड का टीका लगवा सकती हैं। इसका उनके स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है और न ही शिशु को कोई दिक्कत होती है। कोविड का टीका लगवाने के बाद भी स्तनपान करवाना जारी रखना है। यह मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है।

डॉ. नीरज कुमार पांडेय, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी

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