धूमधाम से मनाया गया निषाद पार्टी का छठवां स्थापना दिवस,प्रधान मंत्री को खून से पत्र लिखकर मांगा आरक्षण

 गोरखपुर,( रवि गुप्ता ) निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने निर्बल इंडियन शोषित हमारा दल “निषाद पार्टी” के छठवें स्थापना दिवस के अवसर पर पादरी बाजार स्थित रजवाड़ा लॉन में “स्थापना दिवस पखवाड़ा” का शुभारंभ के साथ मीडिया बंधुओं से रूबरू होते हुए कहा कि सबसे पहले तो निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल “निषाद पार्टी” की तरफ से सभी देशवासियों एवं प्रदेशवासियों को 75वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई। यह स्थापना दिवस हम समजिक समरुकता दिवस के रूप में भी मना रहे है। जिसमे हम सभी जती धर्म के लोगों को सम्मान, अधिकार और हक़ दिलाने का कार्य करेगा साथ ही सभी समाज से हमारी भी अपेक्षा यह है कि हमे हमारा अधिकार दिलाने में सहयोग करें। 

डॉ. संजय निषाद जी ने मछुआ SC आरक्षण की मांग को लेकर राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री को खून से खत लिखकर मांग की जल्द से जल्द मछुआ SC आरक्षण को लागू किया जाए। सांसद प्रवीण निषाद जी ने भी खून से खत लिखकर सौंपा, साथ ही प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं ने भी प्रधानमंत्री के नाम खून से खत लिखा।

सभी भारतवासी 75 वर्षों से स्वतंत्रता दिवस को हर्षों-उल्लास के साथ मनाते हैं परंतु सही मायने में आजादी के बाद भी हमारा मछुआ समाज आजाद विहिन है, भूखमरी, बेरोजगारी एवं शिक्षा के अधिकार से विहिन इस मछुआ समाज को आजादी नहीं मिली हैं। आजादी के इतने वर्षों तक देश और प्रदेश में राज भोगने वाली कांग्रेस-सपा-बसपा समेत तमाम पार्टियों ने मछुआ समाज को केवल वोट बैंक समझा और चुनाव के बाद इनका अधिकारों को छीनने का काम किया। 

निषाद पार्टी का 16 अगस्त 2016 में जब गठन हुआ तब मझवार, गौड़, तुरैहा, खरवार, बेलदार, खरोट, कोली आदि जाति व उपजातियों को भारत के नागरिक होने के बाद भी इन्हें मिलने वाले 5 मौलिक अधिकार से भी वंचित रखा गया था। निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल ने सभी वंचितों और शोषितों की आवाज को उठाने के साथ ही मछुआ समाज के हक-अधिकार के लिए सड़क से लेकर सदन की लड़ाई लड़ने का काम किया है और जब तक इनका आरक्षण नहीं मिल जाता तब तक चैन से बैठने वाली नहीं। लोग यह न समझे कि हम सिर्फ आरक्षण कि ही लड़ाई  

लड़ रहे हैं हम तब तक लड़ेंगे जब तक हमारे समाज के आखिरी व्यक्ति तक समानता के सभी अधिकार न पहुचें। 

देश को आजाद कराने वाली मछुआ कौम को आजादी के बाद ही अनुसुचित जाति में रखा गया लेकिन अचानक बिना किसी कारण के 1992 में भूतपूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार बिना संसद में किसी बहस के अनूसुचित जाति से निकाल बाहर कर दिया। 2009 में सुश्री मायावती के नेत्तृव वाली प्रदेश सरकार ने केंद्र से बिल वापस करवा लिया। 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार के कार्यकाल के पूर्ण होने से 4 महीने पहले निषाद वोट बैंक की राजनीति करते हुए पिछड़ी से निकालकर अनुसूचित जाति में डालने का कार्य किया, जिसके बाद बसपा द्वारा संचालित संगठन वामसेफ ने स्टे ले लिया। निषाद मतदाताओं को केवल राजनीति के अंदर मोहरा समझा गया है। कभी पिछड़ी से अनूसुचित तो कभी अनुसूचित से पिछड़ी में डालकर फूटबॉल बनाने का काम किया है। 

14 अगस्त 2021 को माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह और बीजेपी के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने मुलाकात कर बीजेपी को वायदा याद कराते हुए कहा कि 2019 में निषाद पार्टी बीजेपी के साथ मछुआ एससी आरक्षण को लेकर मिली थी परंतु अभी तक आऱक्षण नहीं मिला है। जिस पर माननीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा ने निषाद पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद को आश्वस्त किया कि निषाद पार्टी को किया गया वादा बीजेपी गंभीरता से ले रही है और जल्द ही आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया जाएगा साथ ही उन्होने प्रदेश सरकार द्वारा मछुआ एससी आरक्षण को लेकर उठाए जा रहे सराहनीय कदमों को भी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष भी रखा, जिससे निषाद पार्टी आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी सरकार के साथ है साथ ही सम्मानजनक सीटों की भी सहमती हुई है ।

डॉ निषाद ने कहा कि आज से पूर्व 18 प्रतिशत की आबादी वाले मछुआ समाज को सभी राजनीतिक पार्टियों ने केवल मोहरा और वोट बैंक समझा है परंतु 2016 से निषाद पार्टी के गठन के बाद से इस पिछड़े माने जाने वाले समाज में राजनीतिक चेतना आई है और अब कुछ चुंनिदा समाज के ठेकेदारों जो की निषाद के नाम पर मंत्री और सांसद तो बनते है परंतु सदन में कभी भी मछुआ एससी आरक्षण को लेकर एक शब्द नहीं बोलते हैं बल्कि इसके विपरित संतकबीर नगर से सांसद इं. प्रवीण निषाद जब भी उन्हें सदन में बोलने का मौका मिलता है तब तब वह आरक्षण का मुद्दा उठाते हैं लेकिन उनका साथ देने के जगह ये समाज के ठेकेदार उनका विरोध करने का कार्य करते हैं। आगामी 2022 के विधानसभा चुनावों में मछुआ समाज इन बहरूपिये नेताओं को गांव से भगाने का काम करेगा क्योंकि अब मछुआ समाज भी जान चुका है 75 सालों से इन नेताओं ने समाज के नाम पर केवल अपना भरण-पोषण करने का काम किया है ना कि मछुआ समाज का। डॉ निषाद ने अंत में सभी कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों एवं मछुआ समाज को धन्यवाद देते हुए कहां कि जल्द ही निषाद पावर में भी होगा और सत्ता में भी, आगामी 2022 के विधानसभा चुनावों में निषाद पार्टी अपने सिंबल पर उम्मीदवार उतारेगी और जीत दर्ज कर विधानसभा में  निषाद के हक अधिकार के मुद्दें को ओर बुलंद करेगी।

“भीख नहीं सम्मान चाहिए 

जीने का अधिकार चाहिए।।”

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