गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का निर्माण करके इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द

 गोरखपुर,(पवन गुप्ता) भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अन्तर्गत संचालित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संबंध में चलचित्रात्मक परिचय का प्रस्तुतिकरण भी किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान एवं सरस्वती वंदना से किया गया।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे सिद्ध योगियों की सर्वोच्च पीठ गोरखपुर में आकर हर्ष की अनुभूति हो रही है। मुझे प्रसन्नता है कि पिछले 3 वर्ष से भी कम समय में मुझे यहां महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थान के उद्घाटन के लिए पुनः उपस्थित होने का अवसर मिला। अपनी पिछली गोरखपुर यात्रा में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में मैने यह विश्वास व्यक्त किया था कि गोरखपुर को सिटी आफ नालेज के रूप में विकसित करने का लक्ष्य प्राप्त किया जाये। मेरे लिए संतोष का विषय है कि गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने संकल्प पूर्वक आगे बढ़ते हुए गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का निर्माण कर के इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि मैने जो विश्वास प्रकट किया था आज वह सच होता हुआ दिख रहा हैं। यह संतोष का विषय है कि गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का निर्माण करके इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।


    राष्ट्रपति ने कहा कि गोरखपुर नाथ-सिद्ध अनुयायियों के लिए अनन्य श्रद्धा का केन्द्र है। गोरखपुर के धार्मिक-संास्कृतिक-समाजिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भूमि बुद्ध, महावीर, कबीर, गोरखनाथ, दिग्विजयनाथ तथा अवैद्यनाथ जैसे संतो की पावन तपस्थली है। यह भूमि बाबा राघवदास, हनुमान प्रसाद पोद्दार, रामप्रसाद बिस्मिल, प्रेमचन्द, फिराक गोरखपुरी एवं विद्या निवास मिश्र की स्मृतियो से सुरभित है।


 राष्ट्रपति ने कहा कि गोरखनाथ की तपोस्थली और गोरक्षपीठ सदियांे से भारत के समाजिक, धार्मिक, जागरूकता में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती रही है। भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान इस पीठ ने राजनैतिक पुनर्जागरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज के समय में भी गोरक्षपीठ जनजागरण, जन सेवा, शिक्षा व चिकित्सा सेवा का केन्द्र बनी हुई है। महायोगी गोरखनाथ ने योग के माध्यम से जनसाधारण को सशक्त बनाने का अतुलनीय कार्य किया है। गुरू गोरखनाथ जी एवं उनकी साधना पद्धति का संयम एवं सदाचार से सम्बंधित व्यवहारिक रूप से लम्बे समय से सम्मानीय बना हुआ है।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का उल्लेख करते हुए कहा कि शंकराचार्य के बाद गोरखनाथ भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं। उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए स्वामी विवेकानन्द का भी उल्लेख किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी शिक्षा के उद्देश्य के बारे में ऐसी ही परिकल्पना की गयी है। इसमें कहा गया है कि शिक्षा से चरित्र निर्माण होना चाहिए, शिक्षार्थियों में नैतिकता, तार्किकता, करूणा और संवेदनशीलता विकसित की जानी चाहिए और साथ ही उन्हें रोजगार के लिए सक्षम बनाना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक उद्देश्य हमारे संस्थाओ की पाठ्यचर्या और शिक्षा विधि में सुधार करना और छात्रों में अपने मौलिक दायित्वों एवं संवैधानिक मूल्यों, देश के साथ जुड़ाव तथा बदलते देश में नागरिक की भूमिका एवं उत्तदायित्वों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है। शिक्षा के प्रसार के माध्यम से समाजिक उत्थान के लक्ष्य को लेकर 1932 में स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद उत्तर भारत में विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में लगभग 50 शैक्षिक संस्थानों का संचालन कर रहा है। इसी क्रम में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण भी हुआ है।

महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय अपने ध्येय को अवश्य प्राप्त करेगा। यह जानकर प्रसन्न्ता हुई कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा संचालित संस्थाओ में विद्यार्थियों को अत्याधुनिक ज्ञान, विज्ञान की शिक्षा देने के साथ उनके समग्र व्यक्तित्व के विकास पर बल दिया जा रहा है। उनमें भारतीय संस्कृति के प्रति निष्ठा, राष्ट्र के लिए त्याग एवं सम्र्पण की भावना और समाजिक सहभागिता विकसित करने पर पूरा ध्यान दिया जाता है। मुझे बताया गया है कि आज लोकार्पित किये जा रहे महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में योग, आयुर्वेद, चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा भी दी जायेगी साथ ही साथ समय की आवश्यकता को देखते हुए रोजगार प्रदान करने वाले पाठ्यक्रमों का संचालन भी किया जायेगा।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने गीता के श्लोक ’’न ही ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्वते‘‘ उद्धृत करते हुए कहा कि ज्ञान के समान पवित्र करने वाला कोई नही है।

इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि भारतीय धर्म, संस्कृति व समाज के उद्धार के लिए साधना की पवित्रता व संयमपूर्ण जीवन पर जोर देने वाले महायोगी गुरू गोरखनाथ के नाम पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर का इतिहास जितना गौरवपूर्ण रहा है वर्तमान भी उतना ही प्रेरक और उल्लेखनीय है। गोरखपुर जनपद महापुरूषों की तपस्थली रही है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अलख जगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना इसी उद्देश्य से की गयी थी और इस संस्था ने दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय सहित प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक अनेक शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थाएं स्थापित की।

मा0 राज्यपाल ने कहा कि यह खुशी की बात है कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपनी संस्थाओं के माध्यम से विद्या एवं आधुनिक ज्ञान विज्ञान की शिक्षा देने के साथ विद्यार्थियों के समग्र व्यक्तित्व के विकास पर ध्यान दिया जाता  है। आज मा0 राष्ट्रपति द्वारा महा योगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय लोकार्पण किया गया है जिसका उद्देश्य गोरखपुर ‘‘सिटी आफ नालेज’’ बनाना है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के प्रारम्भ हो जाने और आयुष विश्वविद्यालय के बन जाने से जनपद गोरखपुर एजुकेशन हब के रूप में जाना जायेगा। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के द्वारा ही अच्छे नागरिक तैयार होते है क्योंकि अच्छी शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ रोजगार देना नही होता बल्कि दृढ़ निश्चयी एवं देश हेतु समर्पित नागरिक तैयार करना भी होता हैै। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास इक्कीसवी सदी की चुनौतियों से निपटने में सक्षम नई शिक्षा नीति भी है। अब हमारे विद्यार्थी कौशल की कमी के कारण न रूकेगे न ही भाष की सीमा में बंधेगें। मातृभाषा में पढ़े हुए लोग आगे आयेंगे और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। नई शिक्षा नीति भारतीयता को समर्पित है जो आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को साकार करने में सक्षम है।

इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1932 में बम्ह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज ने गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर पूर्वान्चल के शैक्षिक व आर्थिक रूप से पिछड़े हुए क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने का एक अदभुत कार्य प्रारम्भ किया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में महिला शिक्षा के लिए पहला महाविद्यालय स्थापित करने के साथ ही गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से दो महाविद्यालय देकर गोरखपुर में गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना को आगे बढ़ाने और उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए ब्रम्ह्लीन महन्त अवैधनाथ जी महाराज ने गोरक्षपीठ की परम्परा को जो आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जागरण के साथ ही शिक्षा, और चिकित्सा के क्षेत्र में भी और लोक कल्याण के पथ को जागरूक किया। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद इस अभियान का केन्द्र बिन्दु बना। उन्होंने कहा कि आज लगभग 4 दर्जन शिक्षण, प्रशिक्षण संस्थाओं का संचालन करने के साथ ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के द्वारा नव सृजित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का उद्घाटन कार्यक्रम मा0 राष्ट्रपति जी के द्वारा इस उद्घोषणा का यह हिस्सा है जिसमें 2018 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के मुख्य समारोह में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शताब्दी समारोह तक गोरखपुर को सिटी आफ कालेज बनाने का संकल्प गोरखपुरवासियों को दिया था। उसी श्रंृखला का हिस्सा महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय है। इस अवसर पर राष्ट्रपति जी का हृदय से स्वागत करता हूं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब का ध्येय लोककल्याण होना चहिए। हम लोक मंगल, लोक कल्याण के लिये अपने आप को समर्पित करते हुए कार्य करेगें। इस उद्देश्य से महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का उद्घाटन का यह कार्यक्रम मा0 राष्ट्रपति जी के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। आज गोरखपुर एवं पूर्वान्चल वासियों के लिये एक अदभुत क्षण है कि इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन हो रहा है और एक विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया गया है। यह सिटी आफ नालेज की कल्पना को साकार करने की दिशा में किये जाने वाले प्रयास का हिस्सा है। कोरोना कालखण्ड में भी प्रधानमंत्री ने देश को नई शिक्षा नीति दी जो न केवल शासन के स्तर पर बल्कि निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से उन धर्मार्थ संस्थाओं की भूमिकाओं को भी महत्व दिया है जो व्यवसायिकता से कोसो दूर रहते हुए सेवा भाव के साथ शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते है। नई शिक्षा नीति अनेक प्रकार से नई-नई संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिये अवसर प्रदान कर और नई शिक्षा नीति के उस संकल्पना को साकार करने के लिये गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट के द्वारा इस अभियान का हिस्सा बनकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के भौतिक विकास में योगदान करने वाले तीन इंजीनियर्स नीरज गौतम, सतयेन्द्र चैधरी एवं जसप्रीत लाम्बा को सम्मानित किया।

इस अवसर पर देश की प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविन्द, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर यू0पी0 सिंह, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल अतुज बाजपेई, अपर मुख्य सचिव मोनिका एस0 गर्ग सहित विभिन्न वरिष्ठ अधिकारी गण एवं जन प्रतिनिधि गण उपस्थित रहे।




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