अभी भी गुर्रा रही गोर्रा, राप्ती-रोहिन और सरयू का पानी घटा, बंधों पर नदियों के पानी का दबाव बरकरार

(पवन गुप्ता)

गोरखपुर-बस्ती मंडल में नदियों के जलस्तर में कमी आने लगी है लेकिन कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर या आसपास हैं। गोरखपुर में गोर्रा नदी का पानी अभी बढ़ रहा है। वहीं राप्ती-रोहिन और सरयू नदी का पानी घटने लगा है। जिले के तकरीबन सभी बंधों पर नदियों के पानी का दबाव बरकरार है। अलबत्ता कहीं भी रिसाव होने की खबर नहीं है। गोरखपुर-वाराणसी और बांसगांव-खजनी मार्ग पर आवागमन रविवार को भी पूरी तरह ठप रहा। राम-जानकी मार्ग पर भी राप्ती का पानी चढ़ा हुआ है, जिसकी वजह से भारी वाहनों का आवागमन रोका गया है।

गोरखपुर में रविवार की सुबह गोर्रा नदी के जलस्तर में शनिवार की तुलना में थोड़ी वृद्धि हुई। शनिवार को गोर्रा का जलस्तर जहां 72.050 आरएल मीटर था वहीं रविवार की सुबह 72.100 आरएल मीटर तक पहुंच गया। वहीं राप्ती का जलस्तर शनिवार के 77.200 आरएल मीटर के मुकाबले घटकर 77.090 आरएल मीटर आ गया। रोहिन का जलस्तर 83.630 आरएल मीटर से 83.480 आरएल मीटर पर आ गया है। सरयू और कुआनों का भी पानी घट रहा है। हालांकि, बंधों पर इन नदियों के पानी का दबाव बना हुआ है जो ग्रामीणों को डरा रहा है। किनारे के गांवों के लोग पूरी रात जागकर बंधों की निगरानी कर रहे हैं। नकबैठा पुल के पास राप्ती का पानी चढ़ा होने से गोरखपुर-वाराणसी मार्ग पर आवागमन प्रतिबंधित है। यही हाल बांसगांव-खजनी मार्ग का भी है। कौडीराम से गोरखपुर जाने के लिए लोगों को कौड़ीराम-बांसगांव-माल्हनपार और खजनी होते जाना पड़ रहा है। राम-जानकी मार्ग पर भारी वाहनों के आवागमन पर रविवार को भी प्रतिबंध रहा।

सिद्धार्थनगर में राप्ती, बूढ़ी राप्ती व कूड़ा नदी के जलस्तर में कमी के बाद भी लाल निशान से काफी ऊपर बह रही हैं। बानगंगा, तेलार, घोंघी, जमुआर का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है। डुमरियागंज, इटवा, बांसी, सदर तहसील क्षेत्र में बाढ़ से अब भी कई गांव प्रभावित हैं। देवरिया में सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गोर्रा का जलस्तर 1998 की भीषण बाढ़ के स्तर पर पहुंच गया है। गोर्रा ने शीतल माझा और गाजन बहरौली में कटान शुरू कर दिया है। यहां बाढ़ खण्ड फ्लड फाइटिंग कर रहा है। महाराजगंज में नेपाल की पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश होने से राप्ती और रोहिन नदी अभी उफान पर हैं। नदियों के बंधे के किनारे विभिन्न गांवों के लोग डरे-सहमे हैं।

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